राफेल विमान सौदे पर देश में मचे राजनीतिक घमासान के बीच दसॉल्ट कंपनी के सीईओ ने कहा है कि उन्हें भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कोई बेचैनी नहीं थी क्योंकि यह डील साफ-सुथरी है. उन्होंने कहा कि राफेल डील में कोई घोटाला नहीं हुआ, भारत को हमें 36 विमान देने हैं और इसकी आपूर्ति करेंगे. अगर भारत को और भी विमान चाहिए तो हमें इसकी भी आपूर्ति करने में खुशी होगी.
बेंगलूरू में चल रहे एयरो इंडिया-2019 एयर शो में पहुंचे राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट कंपनी के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा कि यह साफ-सुथरी डील है. इसलिए मुझे कैग रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कोई बैचैनी नहीं थी. पहला राफेल विमान सितंबर के महीने में भारत पहुंचेगा. जिसके बाद हर महीने एक विमान भारत को दिया जाएगा. इस लिहाज से 36 महीने में 36 विमानों की आपूर्ति होगी. राफेल विमान के देश में बनने के सवाल पर ट्रैपियर ने कहा कि भारत में एयरक्राफ्ट बनाने के लिए कम से कम 100 विमानों का ऑर्डर होना चाहिए.
रिलायंस इंफोकॉम और एरिक्सन केस में सुप्रीम कोर्ट से अनिल अंबानी को मिले झटके को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में एरिक ट्रैपियर ने कहा कि यह कंपनी का अंदरूनी वित्तीय मामला है. उनकी कंपनी में हमारा (दसॉल्ट) निवेश सुरक्षित है और बेहतर निगरानी में है. दरअसल बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी को न्यायालय की अवमानना का दोषी करार दिया है. इस केस में कोर्ट अंबानी को एरिक्सन इंडिया को बकाया राशि देने का आदेश दिया था. बता दें कि दसॉल्ट और अनिल अंबानी की कंपनी के बीच राफेल डील के तहत ऑफसेट करार हुआ है, जिसे लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा है.
गौरतलब है कि राफेल विवाद में कांग्रेस लगातार दसॉल्ट कंपनी के सीईओ एरिक ट्रैपियर के 26 मार्च 2015 को तत्कालीन वायु सेना अध्यक्ष अरूप राहा और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) अध्यक्ष की मौजूदगी में दिए बयान का हवाला देता रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि दसॉल्ट और एचएएल के समझौते अपने अंतिम चरण में है. बता दें कि यूपीए सरकार के दौरान जिस सौदे पर बातचीत चल रही थी उसमें 18 विमान सीधे फ्रांस से आने थे, जबकि 108 विमान दसॉल्ट और एचएएल की साझेदारी में बनने थे.
लेकिन यूपीए सरकार के बाद मोदी सरकार में हुए नए सौदे में 126 के बदले 36 विमान का सौदा हुआ और इस नए करार में एचएएल की भूमिका नहीं रही. इसके अलावा दसॉल्ट कंपनी ने अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को अपना ऑफसेट पार्टनर चुना. कांग्रेस का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए पिछला सौदा रद्द किया.